प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा गणतंत्र दिवस पर पहाड़ी ब्रह्मकमल टोपी पहने जाने के बाद से इसकी लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। आगामी चुनावों के कारण राजनैतिक गलियारों में भी इसकी लोकप्रियता खासी बढ़ गई है। शायद कम ही लोग जानते होंगे की यह टोपी समीर शुक्ला जी द्वारा बनायीं गई है जो की 2017 में इस टोपी को पहली बार लोगों के सामने लेकर आये। समीर जी और कविता जी सोहम हिमालयन सेंटर, मसूरी के संस्थापक हैं और पिछले दो दशकों से अधिक समय से उत्तराखंड की संस्कृति को संरक्षित करने में जुटे हुए हैं।
पारम्परिक उत्तराखण्डी टोपी को नया आकर्षिक रूप देने के लिए समीर जी ने इसमें एक रंगीन पट्टी के साथ-साथ राज्य पुष्प ब्रह्मकमल को लगाया है जिस कारण यह टोपी युवाओं को भी आकर्षित कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में इस टोपी को प्रदेश के लगभग हर तपके के लोगों द्वारा अपनाया गया है जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री, राजनेता, फिल्म कलाकार , लोक कलाकार और संस्कृति प्रेमी शामिल हैं। साथ ही इस टोपी को आम जनों ने संस्कृति के प्रतीक के तौर पर शुभ समारोह जैसे कि शादी, लोक-समारोह, सांस्कृतिक आयोजनों पर बढ़-चढ़कर पहनना शुरू कर दिया है।
पिछले कुछ दिनों में पहाड़ी टोपी की मांग सिर्फ उत्तराखण्ड से ही नहीं बल्कि देश के हर राज्यों से आई है। हम आशा करते हैं कि पहाड़ी टोपी एक सांस्कृतिक प्रतीक के तौर पर और ऊँचे आयाम तय करेगी।